Saturday, 3 June 2017

महिला नागा साधुओं के रहस्य II Mysterious Facts of Women Naga Sadhus



महिला नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया से देश में बहुत कम लोग परिचित हैं महिला नागा साधुओं की दुनिया भी काफी रोचक तारों से भरी होती है हम में से अधिकतर लोगों को यह बात पता ही नहीं कि महिला नागा साधुओं का अस्तित्व भी होता है आखिर क्या खास बातें हैं जो महिला नागा साधुओं को अन्य से अलग बनाती है हेलो दोस्तो मैं हूं शरद और आप देख रहे हैं इंडियन हिस्ट्री आज आपको परिचित करवाते हैं देश की महिला नागा साधुओं के जीवन से महिला को नागा सन्यासिन बनने से पहले 6 से 12 साल तक कठिन ब्रह्मचार्य का पालन करना होता है इसके बाद गुरु यदि इस बात से संतुष्ट हो जाए कि महिला ब्रह्मचार्य का पालन कर सकती है तो उसे दीक्षा दी जाती है महिला को भी नागा सन्यासिन बनने से पहले स्वयं का पिंडदान और तर्पण करना पड़ता है महिला को नागा सन्यासिन बनाने से पहले उसका मुंडन किया जाता है और नदी में स्नान करवाया जाता है सन्यासिन बनने से पहले महिला को यह साबित करना होता है कि उसका परिवार और समाज से कोई मोल नहीं है वह सिर्फ और सिर्फ भगवान की भक्ति करना चाहती है इस बात की संतुष्टी होने के बाद ही दीक्षा दी जाती है सिंहस्थ कुंभ में नागा साधुओं के साथ ही महिला सन्यासिन भी शाही स्नान करती है अखाड़े में सन्यासिन को पूरा मान सम्मान दिया जाता है जब महिला नागा सन्यासिन बन जाती है तो खड़े के सभी साधू संतो ने माता कहकर संबोधित करते हैं पुरुष नागा साधु और महिला नागा साधु में फर्क केवल इतना ही है कि महिला नागा साधु को एक पीला वस्त्र लपेट कर रखना पड़ता है और यही वस्त्र पहनकर इस स्नान करना पड़ता है नग्न स्नान की अनुमति नहीं होती है यहां तक कि कुंभ के मेले में भी नहीं होती है I

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