Monday, 5 June 2017

कामाख्या मंदिर का रहस्य || Facts About Kamakhya Temple


आज हम बात करेंगे कि कामाख्या जो मंदिर है कामाख्या मंदिर जो आसाम में स्थित है उसके बारे में उसके राज हम आप लोगों को बताएंगे और साथ ही साथ में आप लोगों को यह भी बताऊंगा कि उसका इतिहास क्या रहा है और उस मंदिर की क्या मान्यता है तो सबसे पहले आप लोगों को पता होना चाहिए कि कामाख्या मंदिर जोकि देवी सती का मंदिर है और वह मंदिर स्थित है आसाम में असम के गुवाहाटी क्षेत्र में वह मंदिर स्थित है और उस मंदिर की मान्यता यह है कि वह सबसे बड़ा तांत्रिक पीठ माना गया है इस विश्व का नहीं बल्कि पूरे ब्रम्हांड का और सबसे बड़ी बात यह है कि वह इस पूरे ब्रह्मांड का केंद्र बिंदु माना गया है और कामाख्या मंदिर जो है वह सबसे ज्यादा वहां पर तंत्र होता है सबसे ज्यादा तांत्रिक कामाख्या मंदिर में आते हैं हर साल अंबूवाची पर्व कामाख्या मंदिर में मनाया जाता है जून के महीने में 3 दिन के लिए होता है उस समय रजस्वला का समय हो काल होता है देवी सती का और आप लोगों को सबसे पहले उसका इतिहास पता होना चाहिए कामाख्या मंदिर में देवी सती की योनि का भाग्य रहा था वैसे तो 51 शक्ति पीठ है भारत में पाकिस्तान में नेपाल में और यह शक्तिपीठ कैसे बने यह कामाख्या मंदिर में योनि कैसे गिरी देवी सती की और इस मंदिर की जो है शुरूआत कहां से हुई इस बारे में मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं आप लोगों को सबसे पहले पता होना चाहिए कि जब यह जो मैं आप लोगों को बता रहा हूं कहानी है काफी लाखों साल पुरानी जब देवी सती और उन्होंने शिव भगवान का बहुत बड़ा अपमान किया था उन्होंने उनको नहीं बुलाया था और देवी सती वहां पर गई बल्कि शिव भगवान ने मना किया था वह फिर भी गई वहां पर और उन्होंने देखा कि उनके जो पति है उनके लिए कोई स्थान राजा दक्ष ने नहीं रखा है इसको देखकर वह बहुत ज्यादा क्रोधित हो गई और उस क्रोध के चलते हुए देवी सती ने अपने आप को उसी हवन कुंड की अग्नि में अपने आप को भस्म कर लिया यह देखते हुए क्योंकि भगवान भोलेनाथ त्रिकालदर्शी थे वहां पर आए और वहां पर आने के बाद उन्होंने देवी सप्तशती का जो शरीर था जो कि जल चुका था भ्रम हो चुका था उसको अपने शरीर में लेकर पूरे ब्रह्मांड में जाने लगे और वहां पर बहुत परेशान अवस्था में आ गए भगवान शिव साथ ही साथ भगवान शिव की अवस्था देखकर जो और त्रिदेव है ब्रह्मा और विष्णु बाकी जितने भी देवता का है उनको देखकर उनकी स्थिति को देखकर भगवान शिव की जो इतनी भयावह स्थिति हो चुकी थी उसको देख कर बहुत दुख हुआ और यह एक ब्रह्मांड के लिए बहुत बड़ा खतरा हो चुका था तो इसी के पश्चात् भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलाकर जो देवी सती का जो अंग है उसको अपने चक्र के द्वारा काट दिया और उसके 51 टुकड़े अलग-अलग स्थानों पर इस देश में पाकिस्तान में एवं नेपाल में जाकर गिरी उसी में से जो यूनिट था वह कामाख्या जोकि कामाख्या के नाम से प्रसिद्ध है वह गुवाहाटी में जाकर गिरा और वहां पर मान्यता यह है कि तंत्र का सबसे बड़ा मेला लगता है और मान्यता मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं जब भगवान शिव ने यज्ञ में जाने के लिए देवी सती को मना किया था तो देवी सती मान ही नहीं थी तो वही स्थल है जहां पर मना किया था कामाख्या में जब देवी सती मान नहीं रही थी तो सिर्फ भगवान बहुत रोकने की कोशिश कर रहे थे देवी सती को मगर देवी सती ने वहां पर 10 महाविद्याओं के रुप लेकर भगवान शिव को घेर लिया था इससे भगवान शिव बहुत ज्यादा भयभीत होकर उन्होंने देवी सती को जाने की आज्ञा दे दी थी और मैं आप लोगों को एक चीज एक राठौर बताने वाला हूं कि जब भी जून का महीना होता है तो एक अंबूवाची पर्व यहां पर मनाया जाता है कामाख्या मंदिर में वह अंबुवाची पर्व में ब्रह्मपुत्र का जो पानी है वह पूरा लाल हो जाता है वहां पर जो झरना है वह पूरा लाल हो जाता है और 3 दिन के लिए यह मंदिर बंद रहता है उनके लिए वहां पर तांत्रिकों का चित्र का बहुत बड़ा लगता है और साथ ही साथ देता है जो आदमी सबसे बड़ा तांत्रिक है इस दुनिया में जो भी जितने भी तांत्रिक है पूरा तांत्रिक तक बनता है तो वहां पर ना तो कोई फोटो है ना ही कोई मूर्ति है वहां पर बस देवी की योनि है उससे और वह नीचे गर्भ ग्रह है वहां पर साथी साथ कालिका पुराण में यह भी लिखा गया है कि जो इश्क कामाख्या मंदिर में जाता है वहां पर हर किसी की मनोकामनाएं पूरी होती है मान्यता यह भी है कि कामाख्या मंदिर में बलि विधि जाती है कुछ लोगों को अपने कार्य पूर्ण कराने के लिए वहां पर बलि देने का प्रावधान भी है और जो बलि दी जाती है वह किसी इंसान की बलि नहीं होती है वह बनी होती है बकरों की ओर भैसों की जो कि वहां पर दे दी जाती है और यह एक देवी के योनि भाग के अलावा वहां पर 10 महाविद्याओं के भी मंदिर स्थित है वहां पर एक माइक पर्वत स्थित है जहां पर सारे तांत्रिकों का जमावड़ा रहता है जो बहुत बड़े और उच्च के तांत्रिक हैं और वहां से मयंक पर्वत नहीं छोड़ते मान्यता यह है कि अगर वह माइंड पर्वत छोड़ेंगे तो वहां पर उनकी जितनी तांत्रिक शक्ति हैं वह सब खत्म हो जाएंगी और वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे तो दोस्तों मैं आप लोगों को जो मैंने बताया है यह तो कुछ ही राज है बाकी के राज जो कामाख्या मंदिर के हैं वह पुराणों में जो हमारे अभी जो हम पर पुराण है उनमें बहुत कम यह रास्ता बताए गए हैं बाकी बहुत सारे पर आज हमारे चले गए हैं जो पुराने चला दी गई है मुगलों ने चलाई है मुगलों ने यह मंदिर तोड़ने की भी काफी बार कोशिश करी है मगर वह इस चीज में सफल नहीं हो पाए आप देख सकते हैं यह कितना बड़ा सिद्ध पीठ है और यह कितना मान्यता है इस मंदिर कि आप लोग जरुर जाकर एक बार कामाख्या देवी के दर्शन करें और वहां पर हो सके तो देवी का ध्यान जरूर करें I

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