हिंदू धर्म ग्रंथों में शामिल इस श्लोक की प्रथम दो पंक्तियों का अर्थ है कि अश्वत्थामा बलि व्यास हनुमान विभीषण कृपाचार्य और भगवान परशुराम की सात महामानव चिरंजीवी है यानी कि कभी नहीं मरने वाले इंसान होते हैं आदि काल से ही देवता हो या फिर मनुष्य सभी शिक्षा के लिए तब करते थे क्यों न अमर होने का वरदान मिल जाए लेकिन ऐसा वरदान किसी को नहीं मिला क्योंकि प्रकृति का नियम है जो आया है वह जाएगा ही फिर भी सात महामानव अजर अमर है वह कोई तेरी आंसू नहीं बल्कि इंसान है यह सब लोग अपने जन्म के बाद से लेकर आज तक हर युग में हर काल में मौजूद रहे हैं आज आपको परिचित करवाते हैं ऐसे महान इतिहास पुरुषों से जिनमें से कुछ नहीं मृत्यु पर विजय हासिल की तो कुछ को श्राप कि पृथ्वी के अंत तक मुक्त नहीं होने का द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को अमरत्व प्राप्त है लेकिन यह मृत्यु कोई वरदान नहीं बल्कि श्राप है अश्वत्थामा महाभारत में कुरुक्षेत्र का युद्ध लड़ने वाली योद्धाओं में से एकमात्र जीवित होता है द्रोपदी के पांच निर्दोष पुत्रों की हत्या करने पर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को पाप मुक्ति के लिए श्राप दिया जिसे सृष्टि के अंत तक ऐसे ही चिरंजीवी बंद कर भटकना पड़ेगा ना कोई उससे बात कर सके गाना कोई उसे चाहेगा उसे अपने पाप और गांवों के साथ ऐसे ही तड़पना होगा समय पर ऐसे-ऐसे खबरें आती है कि अश्वत्थामा को देखा भी गया है महाबली का राज्य तीन लोगों में फैला था विष्णु ने जब वामन अवतार में उनसे तीन कदम रखने को जगह मांगी तो उन्होंने धरती और पाताल के साथ तीसरा भाग रखने के लिए स्वयं का शरीर में आगे कर दिया इस दान वीरता और साहस को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें चिरंजीवी बना दिया रुद्रावतार और राम भक्त हनुमान के बारे में भी कहा जाता है कि वह चिरंजीवी है रामायण के समय में उन्होंने भगवान राम कथा दिया वही महाभारत काल में अर्जुन की शक्ति बढ़ाने के लिए रक्त के प्रकार का पर मौजूद रहे कहा जाता है कि हनुमान को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद सदा ने दिया था परशुराम भी चिरंजीवी है परशुराम का वर्णन रामायण में सीता स्वयंवर के दौरान आता है वही परशुराम की उपस्थिति महाभारत में भी है महाभारत में परशुराम कुंभकरण वध भीष्म का गुरु बताया गया है कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम ही कल्कि अवतार की गुरु हिंदी कृपाचार्य के बारे में अलग अलग लोगों के अलग अलग मत है को छूने चिरंजीवी मांगते हैं और कुछ नहीं कृपाचार्य कौरवों और पांडवों दोनों के गुरु थे महाभारत युद्ध में वह राग धर्म निभाने के लिए कौरवों की तरफ से शामिल हुए व्यास मुनि ने महाभारत की रचना की थी और वह ग्रंथ की एकमात्र भी थे महर्षि व्यास का वर्णन रामायण के अलावा सतयुग में भी आता है रावण के भाई विभीषण को भी साथ चिरंजीवी में से एक माना जाता है राम और रावण के युद्ध के दौरान विभीषण ने ग्राम का साथ दिया वही महाभारत काल में भी राज सूर्य यज्ञ समय विभीषण ने पांडवों का निमंत्रण स्वीकार किया और उंहें उपहार भेजें दोस्तों यह थे हिंदू मान्यता के अनुसार वह चिरंजीवी जो अनादि काल से सृष्टि के अंत तक जीवित रहेंगे इन में से छह चिरंजीवी अपनी योग्यता और गुणों के कारण अजर अमर है वही अश्वत्थामा एक श्राप के कारण अमृत्व को झेल रहे हैं I
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
धन कमाने के चमत्कारी टोटके
कभी भी किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहेगी तो मरते हैं पहले टोटके की तरह गुरुवार के दिन आप गुरुवार को पीली वस्तु का दान कीजिए पीली मिठाई खाई ह...

-
स्वागत है आज मैं आपको कुछ उपाय बताऊंगा जिससे आप जादू टोने से बच सकते हैं आजकल जादू-टोना बहुत आम हो चुका है कोई भी किसी के भी साथ शत्रुता मे...
-
आज हम बात करेंगे कि कामाख्या जो मंदिर है कामाख्या मंदिर जो आसाम में स्थित है उसके बारे में उसके राज हम आप लोगों को बताएंगे और साथ ही साथ में...
-
जिसमें आप सभी लोगों का स्वागत है आज मैं आप लोगों को बताऊंगी बियर पीने से होने वाले आश्चर्यजनक फायदों के बारे में क्या आपको भी यह बताने...
No comments:
Post a Comment